PATNA : बिहार में भले ही बाढ़ हो लेकिन उफान वहां की राजनीति में है। बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के निशाने पर इन दिनों सिर्फ लालू प्रसाद यादव ही है। वह रोजआना एक बड़ा बयान लालू प्रसाद को लेकर जारी कर रहे हैं। यही नहीं बिहार चुनाव को लेकर एनडीए की रणनीत भी लालू के इर्द गिर्द ही है। नीतिश तेजस्वी यादव को अपरिपक्व नेता कहते हैं।
बयान नम्बर एक
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की चुनावी ब्रांड वैल्यू को जीरो बताया है। भाजपा नेता ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, “चुनाव आयोग ने अभी तक बिहार विधानसभा का चुनाव कराने के बारे में कोई स्पष्ट निर्णय नहीं किया है, लेकिन चुनाव टालने की दलील देने वाली पार्टी और महागठबंधन में भगदड़ मची है। उन्होंने आगे कहा, “लालू प्रसाद की चुनावी ब्रांड वैल्यू जीरो हो चुका है, इसलिए पांच विधान पार्षद (एमएलसी) और सात विधायक राजद छोड़ चुके हैं.” सुशील मोदी ने आगे कहा, “जीतन राम मांझी जी का महागठबंधन छोड़ना साबित करता है कि जेल से चलने वाली पार्टी दलितों-पिछड़ों का भला नहीं कर सकती. मांझी जी का एनडीए में स्वागत है।
बयान नम्बर दो
सुशील मोदी ने कहा है कि भ्रष्टाचार का दोषसिद्घ अपराधी यदि राजनीतिक रसूख के बल पर जेल बंदी के बजाय राजकीय अतिथि जैसी पांच सितारा सुविधाएं पा रहा है, तो इस पर सीबीआई को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। भाजपा नेता ने मंगलवार को ट्वीट करते हुए लिखा, सजायाफ्ता लालू प्रसाद से मिलने रोजाना दर्जन-भर लोग उनके बंगले पर पहुंच रहे हैं। बिहार में चुनाव लड़ने के इच्छुक 200 से ज्यादा लोग रांची जाकर उन्हें बायोडाटा दे चुके हैं।
उन्होंने आगे लिखा है, यदि झारखंड सरकार जेल मैन्युअल की धज्जियां उड़ा कर लालू प्रसाद को जेल से पार्टी चलाने और टिकट बांटने में राजनीतिक भूमिका निभाने का मौका दे रही है, तो हम चुनाव आयोग से हस्तक्षेप की अपील करेंगे। सुशील मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार का दोषसिद्घ अपराधी यदि राजनीतिक रसूख के बल पर जेल बंदी के बजाय राजकीय अतिथि जैसी पांच सितारा सुविधाएं पा रहा है, तो इस पर सीबीआई को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। उल्लेखनीय है कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद चारा घोटाले के कई मामलों में रांची की जेल में सजा काट रहे हैं। फिलहाल वे रिम्स में इलाजरत हैं।
गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव लंबे समय से जेल में बंद है। उनका सार्वजनिक जीवन भी समाप्त हो चुका है और उनकी राजनीतिक विरासत को उनके बेटे तेजस्वी यादव आगे लेकर जा रहे हैं। लेकिन जदयू और बीजेपी को इस बात का एहसास है कि यदि लालू प्रसाद यादव एक्टिव होते हैं तो मुश्किल खड़ी हो सकती है। इसलिए एक बार फिर लालू प्रसाद यादव को घेरना शुरू हो चुका है। यही नहीं लालू प्रसाद के परिवार में फूट पड़ चुकी है और इसका फायदा भी जदयू और बीजेपी उठाने की फिराक में हैं।