ब्यूरो, सरकार टुडे : लंबे समय तक जेल में बंद रहने के बाद आजाद हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आज सुबह सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की। इस मुलाकात के सूत्रधार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे और मुलाकात के समय वह भी मौजूद रहे। जाहिर सी बात है कि जब दो दिग्गज राजनीतिक व्यक्ति एक साथ बैठते है तो फिर बात राजनीति पर ही होती है। हालांकि लाल प्रसाद यादव ने इस मुलाकात को औपचारिक मुलाकात बताया है।
मुलायम से मिलने के बाद लालू ने कहा कि देश के वरिष्ठतम समाजवादी साथी आदरणीय श्री मुलायम सिंह जी से मुलाकात कर उनका कुशलक्षेम जाना। गाँव-देहात, खेत-खलिहान, ग़ैर-बराबरी, अशिक्षा, किसानों, गरीबों युवाओं व बेरोजगारों के लिए हमारी सांझी चिंताएँ और लड़ाई है। उन्होंने कहा कि आज देश को पूंजीवाद और सम्प्रदायवाद नहीं बल्कि लोकसमता एवं समाजवाद की अत्यंत आवश्यकता है।
यूपी में चुनाव का कुछ ही समय शेष है। लालू—मुलायम की इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। लालू प्रसाद और मुलायम सिंह यादव चाहते हैं कि यूपी में गैर भाजपाई वोटों का बंटवारा न हो।
मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में एक दर्जन से ज्यादा राजनीतिक संगठन काम कर रहे हैं। सभी का दावा यूपी में सरकार बनाने का है। जबकि बीजेपी, सपा, बसपा और कहीं कहीं पर कांग्रेस का ही दमखम है। इसके अतिरिक्त अपना दल, राजभर, पीस पार्टी, निषाद पार्टी, औवेसी, लोकजनशक्ति, वीआईपी जैसे दलों की अपनी—अपनी जाति के वोटरों पर पकड़ है।
लालू प्रसाद और मुलायम सिंह यादव के मुताबिक सपा को चाहिए कि यूपी में वह छोटे दलों को साथ लेकर चुनाव लड़े। अखिलेश यादव ने भी इस बात के संकेत दिये हैं कि उन्हें छोटे दलों के साथ गठबंधन करने में कोई एतराज नहीं है और सपा के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं। बड़ा सवाल यही है कि इन छोटे दलों के साथ सपा का मैनेजमेंट कैसे होता है, कितनी सीट इन दलों के लिए सपा छोड़ सकती है।