11 November, Sarkar Today: बाबूसिंह कुशवाहा के बाद एक और बड़े पिछड़े नेता को सजा (Saza) का एलान हो चुका है। बस सजा निर्धारित होना बाकी है। पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को एमपी/एमएलए कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दे दिया है और उन्हें 12 तारीख को सजा (Saza) सुनाई जाएगी। उनके साथी पिंटू सिंह और विकास वर्मा को कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। एमपी/एमएलए के जज पवन कुमार ने अपना फैसला सुना दिया।
गायत्री प्रसाद को सजा (Saza) का एलान होते ही इस बात की चर्चा होने लगी कि क्या पिछड़ी जाति से आना गायत्री के लिए मुसीबत बन गयी। दलित चिंंतक डीके आनंद कहते हैं कि वह गायत्री के साथ है। उनके मुताबिक पिछड़े नेताओं को सांविधान लागू होने के बाद से टारगेट पर लिया जा रहा है। उनके मुताबिक बाबू सिह कुशवाहा और गायत्री प्रसाद प्रजापति जैसे नेताओं को सजा (Saza) पिछड़े होने के नाते दी जा रही है।
लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में रेप विकटिम ने गायत्री प्रसाद प्रजापति पर सामूहिक बालत्कार करने का मुकदमा दर्ज कराया था। बालत्कार के इस मामले में गायत्री प्रसाद प्रजापति सहित सात लोगों पर एमपी/ एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश की आदालत में मुकदमा चल रहा था। (Saza)
मंगलवार को मामले की सुनवाई के समय कुछ आरोपियों की ओर से लिखित बहस दाखिल की जानी थी। इसी दौरान आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति की ओर से एक स्थगन प्रार्थना पत्र देकर मुकदमे की तिथि बढ़ाए जाने का अनुरोध किया गया। इस अर्जी में कहा गया है कि मुकदमे को किसी दूसरे प्रदेश में स्थानांतरित किए जाने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। इसके अलावा यह भी कहा गया था कि इस न्यायालय के उस आदेश को उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में चुनौती दी गई है जिसमें बचाव साक्ष्य पेश करने की अर्जी को खारिज कर दिया गया था। (Saza)
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