LAKHIMPUR KHIRI : मजदूर कितना मजबूर है। हजारों मील का सफर तय कर घर पहुंचे तो पता चला कि यहां की जिंदगी वहां की जिंदगी से ज्यादा मजबूर है। बस हालत देखे और वापस लौंटने का बीड़ा उठा लिया। कुछ की फोन से पुराने मालिकों से बात हुई तो कुछ एक बार फिर रिस्क लेकर चल उठे। जी हां यहां बात हो रही है उन प्रवासी मजदूरों की जो लॉकडाउन में मौत से समाना करते हुए कठिन परिस्थियों में वापस घर लौटे थे। अब यह मजदूर दोबारा काम के लिए वहीं लौट रहे हैं जहां यह पहले काम करते थे।
लखीमपुर के धौराहा, पलिया और निघासन क्षेत्र की एक सी तस्वीरें है। यहां की पगडंडियों पर पंजाब और दिल्ली के चौपाहिया वाहन देखे जा रहे हैं। टैम्पो ट्रेवलर और प्राइवेट टैक्सियां रात के अंधेरे में यहां के मजदूरों को दोबारा रोज़ी रोटी के लिए उनके कर्म क्षेत्र में ले जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत के मुताबिक तराई बेल्ट के हजारो लोग दूसरे प्रदेशों में काम करते हैं। पंजाब हरियाण और दिल्ली में यहां के ज्यादातर लोग रहते हैं। कोरोना महामारी के दौरान बहुत से लौट चुके लोग अब वापस अपने काम को जा रहे हैं। इनमें ज्यादातर लोगों को पुराने मालिक गाड़ी भेज कर बुला रहे हैं। उन्होंने एक फोटो खीचा मजदूरों से भरी ट्रैवलर का यह ट्रेवलर हरियाणा की तरफ जा रही थी NH24 पर,मजदूर फिर पँजाब हरियाणा की तरफ जाने लगे। कुछ मालिक तो गाडियाँ भेज रहे।
हालांकि लाकडाउन के दौरान सरकार ने घोषणा की थी कि प्रदेश से कोई मजदूर बिना राज्य सरकार की मर्जी के बाहर नही ले जाया जा सकता सबका रजिस्ट्रेशन होगा बीमा होगा। लेकिन कुछ हिम्मती मजदूर काम की तलाश में बिना बीमा कराए ही काम की ओर वापस लौट रहे हैं।