NEW DELHI : लाकडाउन में स्कूलों के आनलाइन पढ़ाई के चोचले हो या फिर फीस, बात सलैबस की हो या फिर स्कूल आने जाने की। स्कूलों के बंद होने के कारण छात्रों का सिलेबस घटाया जा सकता है। स्लैबस सिर्फ उन छात्र—छात्राओं का घटेगा जिनके स्कूल पूरी तरह बंद रहे। यानी कि फायदा सिर्फ नर्सरी से लेकर इंटरतक के स्टूडेंटस को मिल सकता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कोरोना महामारी के मद्देनजर पूरे देश के शिक्षाविदों, शैक्षणिक संस्थानों एवं अध्यापकों से सिलेबस में कटौती पर ठोस सुझाव मांगे हैं।
कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष स्कूलों के कार्य दिवस काफी कम हो गए। अधिकांश छात्रों को ऑनलाइन माध्यमों से ही शिक्षा दी गई और इस समय गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं। ऐसे में अब स्वयं छात्र, अभिभावक और शिक्षक भी छात्रों के पाठ्यक्रम को कम किए जाने के पक्षधर हैं।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, सीबीएसई के वर्तमान स्कूली पाठ्यक्रम को कम करने के लिए पूरे देशभर से अभिभावकों, शिक्षकों और छात्रों के संदेश लगातार प्राप्त हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, वर्तमान परिस्थितियों में देशभर से सीबीएसई के पाठ्यक्रम को कम करने की मांग को देखते हुए सभी शिक्षकों, शिक्षाविदों और शैक्षणिक संस्थानों से अपील है कि वे इस दिशा में अपने सुझाव मुझसे या मंत्रालय से साझा करें। यह सुझाव सभी संबंधित लोगों को अगले एक सप्ताह के अंदर जमा कराने होंगे। सुझाव में यह बताना है कि सीबीएसई के वर्तमान पाठ्यक्रम को कैसे कम किया जा सकता है।
मंत्रालय की पहल पर सीबीएसई सबसे पहले 10वीं एवं 12वीं कक्षा के छात्रों का पाठ्यक्रम कम करने की पहल कर सकता है।
दरअसल 10वीं एवं 12वीं कक्षा के छात्रों को अगले वर्ष बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होना है। कोरोना संकट काल की दिक्कतों के बीच इन कक्षाओं का वर्तमान पाठ्यक्रम पूरा करवा पाना बेहद कठिन है। ऐसे में यदि 10वीं एवं 12वीं कक्षा के छात्रों का सिलेबस कम किया जाता है तो अभी से बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी नए सिलेबस के मुताबिक करवाई जा सकेगी।