LUCKNOW : राजनीति मतलब जेल की चक्की और उसकी रोटी। गांधी, मंडेला और जेपी न जाने कितने ऐसे नाम है जिनके लिए जेल घर जैसा था और उनके जीवन का ज्यादातर हिस्सा जेल में गुजरा। मौजूदा दौर के राजनैतिज्ञ भी मुददों को गर्म कर जेल जाते हैं, जेल में रहते है और बेल कराके वापस आते हैं। इन दिनों देश के अलग—अलग हिस्सों में बहुत से नेता जेल गये और अभी भी जेल में हैं।
उनमे यूपी की राजनीति करने वाले कांग्रेस यूपी अध्यक्ष अजय कुमार ”लल्लू” जौनपुर के पूर्व सांसद धन्नजय सिंह और यूपी की राजनीति के सिरमौर मोहम्मद आजम खां प्रमुख है। आजम खां को जौहर युनिवर्सिटी बनाने में जबरन ज़मीन कब्जा करने का आरोप है, तो अभय सिंह पर एक प्रोजेक्ट मैनेजर पर दबाव बनाने का अरोप है और अजय कुमार लल्लू प्रिंयका गांधी के बस आंदोलन के चलते जेल में हैं।
अब सवाल यह है कि क्या कारण है कि इन राजनेताओं को जेल से आजादी नहीं मिल रही। पुलिस ने जिन धाराओं में इनहें बंद किया है वह सख्त धाराएं हैं। जबकि पहले ऐसा नहीं होता था। राजनीतिक व्यक्ति पर पुलिस धाराएं चाहे जितनी सख्त लगा ले कोर्ट उसे राहत दे ही देती थी। लेकिन पिछले कुछ समय से देखने में यह आ रहा है कि कोर्ट भी सख्त हुई और पुलिस तो पहले से भी सख्त थी। वहीं राजनीतिक हालत भी बदले हैं दायरा भी सिमटा है और राजनीति के तौर तरीकों में भी बदलाव आया है।
अजय कुमार लल्लू
अजय कुमार लल्लू यूपी कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी द्वारा बस कांट्रोवर्सी क्रिएिट करने के आरोप में जेल में बंद है। उन्हें कोर्ट ने आगरा से जमानत दे दी तो पुलिस ने उन्हें लखनऊ के एक मामले मे निरूध कर जेल में डाले। लल्लू की रिहाई के लिए कांग्रेस मुददे को गर्म करने की कोशिश कर रही है लेकिन नाकाम है। इसे कांग्रेस नेतृत्तव की चूक ही कहेंगे कि उन्हांने आंदोलन में लल्लू को आगे किया। कांग्रेस के पास अभी जुझारू नेतृत्तव की कमी है, संगठन पूरी तरह से निष्प्रभावी है और गुटबाजी चरम पर है। ऐसे में कांग्रेस को बढ़त दिला रहे लल्लू के जेल जाते ही पूरी पार्टी धराशाई हो गयी। एक दो नेताओं को छोड़कर पार्टी सिर्फ बायान जारी करने तक ही सीमित है। ऐसे में यदि लल्लू का इस्तेमाल पीछे से किया जाता और मोर्चे पर किसी और को खड़ा करते तो शायद तस्वीर का दूसरा रूख होता।
धन्नजय सिंह
डान से राजनेता बने धन्नजय सिंह भी कोरोना काल में जेल में है। उनके खिलाफ जौनपुर में एक प्रोजेक्ट मैनेजर की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करा कर जेल भेज दिया गया था। बाद में वह प्रोजेक्ट मैनेजर मुकर गया और उसने अपनी मानसिक स्थिति को ठीक होना नहीं बताया। उसके इस बयान के बाद उम्मीद थी कि पूर्व सांसद को बेल मिल जाऐगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वह जेल में ही बंद है। धन्नजय सिंह का कहना है कि कोरोना में लोगों की मदद विपक्ष को रास नहीं आयी। उन्होंने और उनकी टीम ने जरूरतमंदों की जबर्दस्त मदद की इसी को देखकर कुछ लोगों ने उनके खिलाफ यडयंत्र करके जेल भिजवा दिया।
आजम खां
लंबे समय से यूपी राजनीति का सिरमौर रहे मोहम्मद आजम खां पिछले तीन महीनों से परिवार के साथ जेल में हैं। विधायक बेट आजम खां और विधायक पत्नी तनजीन फातिमा भी जेल में बंद है। उन पर अरोप है कि उन्होंने जौहर युनिवर्सिटी के लिए यतीम खाने की जमीन पर जबरन कब्जा कराया है। इसके अलावा अलग—अलग धाराओं और मुकदमों की संख्या 50 से उपर है। पहले तो समाजवादी पार्टी ने आजम की रिहाई के लिए जमीन पर धरना प्रर्दशन किया। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी प्रेस कांफ्रेस की लेकिन आजम खां को उससे कोई फायदा हासिल नहीं हुआ और वह आज भी जेल में बंद है।