LUCKNOW : भारतीय जनता पार्टी का डंका यू ही नहीं बज रहा। बीजेपी जो भी करती है अलग तरीके से करती है और शायद यहीं कारण है कि वह प्रचंड जीत हासिल करती है। जल्द ही पश्चिम बंगाल में चुनाव है और वहां ममता बनर्जी की सरकार है। ममता लंबे समय से वहा राज कर रही है और लोगों की नब्ज को अच्छी तरह पहचानती है। बीजेपी को पता है कि ममता को हराना इतना असान नहीं है। इसलिए बीजेपी ने बंगाल में जीत हासिल कैसे की जाए कि प्लानिंग करने की जिम्मेदारी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश की कंधों पर है।
कैलाश विजयवर्गीय और राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी का मुकाबला करने के लिए व्यूह रचना बनाने में जुटे हैं। बूथ लेवल पर टीम खड़ी करने से लेकर ममता बनर्जी सरकार को घेरने के लिए मुद्दों की तलाश भी यही नेता तय कर रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय और शिव प्रकाश जो लाइन तय करते हैं, पश्चिम बंगाल की प्रदेश इकाई उस पर चल पड़ती है।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय शिव प्रकाश की प्लानिंग ने ही पश्चिम बंगाल में बीजेपी को 18 सीटें जिताने में मदद की थी। बीजेपी को लगता है कि 2021 के विधानसभा चुनाव के नतीजे भी चौंकाने वाले होंगे। विजयवर्गीय जहां बंगाल के कार्यकतार्ओं में सत्ताधारी टीएमसी के खिलाफ लड़ने का माद्दा पैदा करते हैं तो शिव प्रकाश संगठन की संरचना को मजबूत बनाने में योगदान देते हैं।
गौरतलब है कि ममता बनर्जी की पीआर यानी कि पसर्नल रिलेशनशिप इस वक्त आल टाइम फेम पीके उर्फ प्रशांत कुमार कर रहे है। अब इन नेताओं की प्लानिंग की वह कैसे काट करते हैं और ममता बनर्जी का फील गुड फैक्टर कायम रख पाते हैं यह वह ही जाने लेकिन इतना तय है कि बंगाल के इलेकशन में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश की बात करें तो वह संघ के प्रचारक रहे हैं। पश्चिम बंगाल के साथ उत्तराखंड में भी भाजपा के संगठन की निगरानी करते हैं। हालांकि, अगले साल विधानसभा चुनाव होने के कारण उनके एजेंडे पर फिलहाल पश्चिम बंगाल है। भाजपा में आने से पहले आरएसएस के प्रांत प्रचारक के तौर पर लंबे समय से काम कर चुके शिव प्रकाश को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में राजनीतिक और सामाजिक मसलों की गहरी समझ है। इससे पूर्व के दो लोकसभा चुनाव में शिव प्रकाश के अनुभव का भाजपा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लाभ भी उठा चुकी है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव में सफलता मिलने के बाद से पार्टी को लगने लगा है कि मिशन 2021 असंभव नहीं है। जिस तरह से तीन दशक से भी अधिक समय से सरकार चला रहे लेफ्ट को 2011 में ममता बनर्जी से पश्चिम बंगाल की सत्ता से बाहर कर दिया था, उसी तरह से भाजपा को उम्मीद है कि वह 2021 में ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा देगी।
राज्य में तृणमूल कांग्रेस के बाद भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी बन चुकी है। अब दोनों नेताओं का निशाना पार्टी को सत्ता दिलाना है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अगर 2021 में पश्चिम बंगाल में भाजपा की जीत हुई तो प्रभारी के तौर पर काम करने वाले राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश का पार्टी और राष्ट्रीय राजनीति में कद बढ़ना तय है।