एजेंसियां : भारत का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली (Diwali) है। और त्योहार की खुशियों को सेलीब्रेट करने के लिए प्रत्येक भारतवासी कपड़ा, जूते और दूसरी चीजें खरीद कर खुशियां मानते हैं। अपनी खुशियों में दूसरो को शरीक करने के लिए एक दूसरे को गिफ्ट दिये जाते है। इन गिफ्ट्स में प्रमुख तौर पर मिठाईयां, चाकलेट और सूखे मेवे होते हैं। कोरोना काल में लोग मिठाइयों से परहेज कर रहे हैं इसलिए सूखे मेवों की डिमांड बड़ गयी है।
अफगानिस्तान के हिंदूकुश पर्वतीय क्षेत्र सफेद शहतूत की फसल से लहलहा रहे हैं। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि इस फसल को बर्बाद करने के लिए वहां तालिबान भी तेजी से घुसपैठ कर रहा है जिसके कारण स्थानीय निर्यातकों के लिए दिक्कतें बढ़ गई है।
भारत अफगानिस्तान के टॉप निर्यात स्थलों में से एक है। यहां सूखे किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट, पिस्ता, सूखे खुबानी का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा हींग और केसर के अलावा अफगानिस्तान से ताजे फल भी आ रहे हैं।
मंडी एक्सपर्ट जसवंत सोनकर के मुताबिक खुदरा विक्रेता इन वस्तुओं का स्टॉक करते हैं, क्योंकि मांग अधिक है। सर्दियों के महीनों में सूखे मेवों और नट्स की खपत और भी अधिक होती है। वह कहते हैं कि दीपावली (Diwali) पर तो मांग इतनी बड़ जाती है जिसे पूरा करना ही मुश्किल होता है। ऐसे में यदि अफगानिस्तान में हिंसा बड़ती है तो निर्यात प्रभावित होगा और माल की आवाजाही में संकट उतपन्न होगा। वह कहते हैं कि सूखे मेवों के भाव में भी आग लग सकती है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑगेर्नाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय के मुताबिक अफगानिस्तान के साथ व्यापार अभी भी जारी है, लेकिन बढ़े हुए राजनीतिक तनाव के साथ यह आगे जारी रहेंगे कह पाना मुश्किल है। वह कहते है कि (Diwali) इन वस्तुओं की कोई खास कमी नहीं होगी, क्योंकि जम्मू एवं कश्मीर के अलावा अन्य देशों से भी इनका एक बड़ा हिस्सा आता है।
हालांकि, दोनों देश एयर फ्रेट कॉरिडोर – काबुल, कंधार, हेरात से नई दिल्ली, मुंबई और चेन्नई से जुड़े हुए हैं। कानेर्गी इंडिया ने एक रिपोर्ट में कहा कि 2017 में एयर फ्रेट कॉरिडोर की शुरूआत के बाद से, 500 से अधिक उड़ानों ने 5,000 मीट्रिक टन से अधिक कार्गो को सीधे अफगान किसानों ko (Diwali) par और छोटे व्यापारियों को लाभान्वित किया है।