AGENCY : हाल मरने के बाद क्या होगा, रिश्तेदार खाएंगे पुलाव फातेहा होगा। जी हां यही हकीकत है। राम विलास पासवान की मौत के बाद का हाल अजीब है। पार्टी पर कब्जे की लड़ाई भाई और बेटे में जारी है। सोचिए जिस व्यक्ति की तूती राजीनति में बोला करती थी आज उस व्यक्ति के परिवार के साथ क्या हो रहा है। यही हकीकत है। पूरा मामला इस प्रकार है कि चुनाव आयोग ( Election Commission) से चिराग पासवान और पशुपति पारस को बड़ा झटका लगा है। आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का चुनाव चिन्ह जब्त कर लिया है। लोजप का चुनाव चिन्हा बंगला था।
चुनाव आयोग ( Election Commission )ने बायान जारी करते हुए बताया है कि लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुट, चिराग और पासवान (पशुपति पारस) किसी को लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिह्न् का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। फिलहाल दोनों गुटों को अंतरिम उपाय के तौर पर, उनके समूहों के नाम और उनके उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न् आवंटित किए जा सकते हैं।
ऐसा ही कुछ हाल उस समय हुआ था था जब यूपी में चौधरी अजीत सिंह और मुलायम सिंह में ठनी थी। मुलायम सिंह के उम्मीदवार अलग—अलग सिंबल पर चुनाव लड़े थे। ध्यान रहे कि बिहार में इसी महीने विधानसभा के उपचुनाव होने वाले हैं। Election Commission
लोक जनशक्ति पार्टी भी इन चुनावा में पूरी ताकत के साथ उतर रही थी लेकिन अब ताजी मुसीबत दोनों धड़ो के सामने हैं। यानि कि चिराग पासवान के उम्मीदवार को चिराग पासवान लोक जनशक्ति पार्टी और पशुपति पारस के उम्मीदवार को पशपति लोकजन शक्ति पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ना होगा। बिहार की दो विधानसभा उपचुनाव सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया जारी है। Election Commission
लोक जनशक्ति पार्टी में ये विवाद तब शुरू हुआ जब बीते माह जून में 5 सांसद चिराग पासवान से अलग होकर पशुपति पारस के खेमे में चले गए और अघोषित तौर पर पशुपति पारस ने एक अलग खेमा बना लिया। जिसे बाद चिराग के चाचा पशुपति पारस ने स्वयं को रामविलास पासवान का उत्तराधिकारी घोषित करते हुए पार्टी अध्यक्ष घोषित कर दिया। इस बीच लोकसभा में, पशुपति पारस गुट को अध्यक्ष ओम बिरला ने लोक जनशक्ति पार्टी के तौर पर मान्यता दे दी है और केंद्र की मोदी सरकार में भी वह लोक जनशक्ति पार्टी कोटे से मंत्री भी हैं। Election Commission