Kathmandu : हांगकांग आंदोलन को कुचलने के लिए चीन ने एक नया कानून बनाया है। इस नये कानून को दुनिया में सबसे पहले यदि किसी देश ने समर्थन प्रदान किया है तो वह नेपाल है। नेपाल के इस क़दम से यह साबित हो गया है कि वह पूरी तरह से चीन की गोद में बैठ चुका है। वहीं अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी ब्लॉक ने संयुक्त रूप से बीजिंग के कदम को अंतर्राष्ट्रीय संधियों का सीधा उल्लंघन बताया है। मीडिया के सवालों के जवाब में नेपाली सरकार ने बुधवार को चीनी कानून का समर्थन किया, जिसका उद्देश्य स्वायत्त हांगकांग में सभी असंतोष को दबाने का है।
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता भरत राज पौडयाल ने कहा, नेपाल अपनी एक चीन नीति को दोहराता है और हांगकांग को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का अभिन्न अंग मानता है। यह तर्क देते हुए कि शांति, कानून और व्यवस्था का रखरखाव एक राष्ट्र की प्राथमिक जिम्मेदारी है, उन्होंने कहा, नेपाल किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की नीति में यकीन करता है और हांगकांग में कानून-व्यवस्था को लेकर चीन की कोशिशों का समर्थन करता है।
चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के अन्य देशों ने विरोध किया है। इन देशों की ओर से विरोध जताने के कुछ समय बाद ही नेपाल की ओर से यह बयान सामने आया है। संयोग से नेपाल ने हाल ही में भारत के खिलाफ भी आक्रामक रुख अपनाया है। उसने एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया है, जिसमें लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी शामिल हैं, जो भारतीय क्षेत्र का हिस्सा रहे हैं। पिछले महीने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा उत्तराखंड में लिपुलेख र्दे को चीन में कैलाश मानसरोवर मार्ग से जोड़ने वाली एक नई सड़क का उद्घाटन करने के बाद नेपाल ने विरोध जताया और क्षेत्र में सुरक्षा चौकी लगाने की धमकी दी।