LUCKNOW : केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी के बीच इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 का मसौदा जारी किए जाने और निजीकरण की दिशा में की जा रही एकतरफा कार्यवाही के विरोध में देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों के साथ उत्तर प्रदेश के तमाम ऊर्जा निगमों के सभी कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर, और अभियंता काली पट्टी बांधकर विरोध दिवस मना रहे हैं।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के प्रमुख पदाधिकारियों शैलेंद्र दुबे, प्रभात सिंह, जी वी पटेल, जयप्रकाश, गिरीश पांडे, सदरुद्दीन राना, सुहेल आबिद,विनय शुकला, राजेन्द्र घिल्डियाल, डी के मिश्र,महेन्द्र राय,शशिकांत श्रीवास्तव, परशुराम,प्रेम नाथ राय,ए के श्रीवास्तव, सुनील प्रकाश पाल,भगवान मिश्र,पूसे लाल,वी के सिंह कलहंस,पी एस बाजपेयी ने आज जारी बयान उत्तर में प्रदेश पावर कारपोरेशन द्वारा बिजली कर्मचारियों के शांतिपूर्ण विरोध दिवस का दमन करने हेतु जारी किए गए पत्र की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा है कि बिजली कर्मचारी कोविड-19 संक्रमण के दौरान कोरोना वारियर की तरह दिन रात काम करके प्रदेश की बिजली व्यवस्था बनाए रखने में जुटे हैं।
01 जून का विरोध दिवस भी सांकेतिक है जिसमे अपना कार्य करते हुए सभी कर्मचारी काली पट्टी बंधेगे और किसी भी प्रकार कार्य प्रभावित नही होगा।ऐसे में पावर कारपोरेशन प्रबंधन की दमनकारी नीति कार्य के स्वस्थ वातावरण में अनावश्यक रूप से टकराव उत्पन्न करेगी जो उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि उप्र के कर्मचारी पूरे देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों के साथ बिजली के निजीकरण हेतु लाए लाए गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 का शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर केन्द्र व राज्य सरकारों का ध्यानाकर्षण कर रहे हैं।