MADHYA PRADESH: किराये पर घर, कार और ज्वैलीर आदि तो अभी तक मिलती थी । लेकिन मार्डन इंडिया में चोरी के लिए बच्चें भी किराये पर हासिल किये जा सकते हैं। एक साल के एक बच्चे की कीमत 10 लाख रूपये तक होती है जिन्हें ईएमआई यानी कि किश्त देकर हासिल किया जा सकता है। बच्चों का किराया उनकी कद काठी और काबिलयत के बाद तय होता है। बच्चों की उम्र 9 वर्ष से 15 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
यह योजना मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के गांवों में चल रही है। जहां मा बांप शादियों में चोरी के लिए अपने बच्चे किराये पर देते हैं। हाल ही में एक गिरोह के 7 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें 2 किशोर शामिल है। इन्होंने दिल्ली के कापसहेड़ा, मायापुरी और मोती नगर में 3 और पंजाब में 5 चोरी की थीं।
गिरोह के लोग मध्य प्रदेश से बच्चों को दिल्ली लाने के बाद उन्हें एक महीने की ट्रेनिंग देते हैं। इन्हें शादियों में चोरी कैसे करना है और कार्यक्रम स्थल पर लोगों के साथ कैसे मिलना है आदि की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा एक बच्चे को मानसिक और शारीरिक रूप से भी तैयार किया जाता है ताकि वह गिरफ्तार होने पर अपनी और अपने गिरोह के सदस्यों की पहचान न बताए।
समारोह में शामिल होने के लिए उन्हें बेहतरीन कपड़े और खाने-पीने का तरीका सिखाया जाता है, ताकि किसी को संदेह न हो. गिरोह में वयस्क पुरुष और महिलाएं शामिल हैं, जो आमतौर पर किराए के घरों में रहते हैं और बच्चों को काम पर छोड़ने के बाद बाहर ऑटोरिक्शा और मोटरसाइकिलों में इंतजार करते हैं।
डीसीपी क्राइम भीष्म सिंह बताया, ‘मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के मुख्य रूप से तीन गांवों – गुल्खेड़ी, कड़िया और सिलखेड़ी के बच्चे शादी के सीजन में गिरोह के साथ सक्रिय हैं। लीज की डील होने के बाद बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे नकदी, आभूषणों के बैग और अन्य कीमती सामानों को निशाना बना सकें और उन्हें उठा सकें।’
क्राइम ब्रांच के एसीपी शिबेश सिंह कहते हैं, ‘वे कभी भी जल्दी में नहीं होते हैं. शादी की पार्टी में वे रात का खाना खाते हैं और धैर्य से उस मौके का इंतजार करते हैं जब वे मेहमानों के साथ घुलने-मिलने में सफल हों. फिर वे तेजी से शगुन वाले गिफ्ट बैग, आभूषण और नकदी लेकर समारोह स्थल से गायब हो जाते हैं।