LUCKNOW : मौलाना कल्बे जव्वाद नक़वी ने एलान किया है कि सरकार के नियमों के साथ मजहब के नियम नहीं चल सकते। लिहाजा वह आसिफी मस्जिद में जुमे की नमाज़ को अदा करने की बात नहीं कह सकते। प्रेस विज्ञिप्त के जरिये उन्होंने कहा है कि 6 फुट की दूरी से जमात हो ही नही सकती लिहाजा जो भी व्यक्ति् मसिजद आये वह फुरादा की नियत से नमाज पढ़ें।
सरकार के 8 जून को धर्म स्थलों को खोलने के फैसले पर इमामे जुमा मौलाना सय्यद कलबे जवाद नक़वी ने आज अपने बयान में कहा कि सरकार ने मस्जिदों को खोलने और जमाअत के साथ नमाज़ के लिए जो दिशा निर्देश दिए हैं उनका पालन करते हुए मस्जिदों में जमाअत के साथ नमाज़ नहीं हो सकती मगर फ़ुरादा (अकेले अकेले) नमाज़ पढ़ी जा सकती है।
मौलाना ने कहा कि जमाअत के साथ नमाज़ के लिए 6 फिट की दूरी सही नहीं है और न इतनी दूरी से जमाअत हो सकती है इस लिए अभी हम मस्जिदों में जमाअत के साथ नमाज़ और जुमा की नमाज़ के लिए नहीं जा सकते क्योंकि 6 फिट की दूरी के साथ जमाअत नहीं होगी लेकिन फ़ुरादा (अकेले अकेले) नमाज़ पढ़ी जा सकती है। सरकार ने कहा है कि धर्म स्थलों में सिमित लोग दूरी के साथ आएं, लोगों को ये समझना अभी मुमकिन नहीं। नमाज़े जुमा का एलान होगा तो भीड़ आएगी जिसे रोका नहीं जा सकता , इस लिए अभी असिफी मस्जिद में जुमा नहीं होगा।
मौलाना ने कहा अभी जब तक हालात सही नहीं होते और दूरी बनाए रखने की शर्त ख़त्म नहीं होती असिफी मस्जिद में जमाअत नहीं होगी।