Patna : कांटे से कांटा निकालना कोई नीतिश कुमार से सीखे। विधानसभा अध्यक्ष के पद पर चुनाव होने के संकेत के थोड़ी ही देर बाद नीतिश ने इसकी काट निकाल ली। नीतिश ने औवेसी की पार्टी से चुनाव जीते पांच विधायकों में से तीन विधायकों को जदयू में शामिल करने का रास्ता साफ कर लिया है। इन तीन में से दो विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है।
नीतिश कुमार भले ही सीएम बन गये हों लेकिन कम सीटो के जीतने से वह अभी भी मनोवैज्ञानिक दबाव में हैं। इसीलिए वह आने वाले हर खतरे से निबटने के लिए सभी कील कांटे दुरूस्त करके चल रहे हैं। नीतिश की सरकार में एक भी मुस्लिम कैबिनेट मिनिस्टर नहीं है। हो भी कैसे नीतिश ने जिन 11 मुस्लमानों को टिकट दिये थे उनमें एक भी मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीत कर नहीं आया। हद तो यह हो गयी कि इकलौते मुस्लिम मंत्री भी चुनाव हार गये।
टूट का खतरा कांग्रेस पर भी बना हुआ है। जीतन राम मांझी लगातार कांग्रेसी विधायकों के सम्पर्क में हैं। और कांग्रेस से भी विधायक तोड़ कर उन्हें जदयू में शामिल कराया जा सकता है।
बता औवेसी की पार्टी की। औवेसी के विधायकों को पता है कि औवेसी के नाम पर जोकुछ हासिल किया जा सकता था वह हासिल हो चुका है। अब इससे आगे की सोची जाए। पूरे पांच साल है। ऐसे मे यदि पहली बार जीते और मंत्री पद भी मिल जाए तो इसे सोने पर सुहागा ही कहा जाएगा।
हालांकि औवेसी विधायकों को अपने पक्ष में रखने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। तभी तो चुनाव जीतते ही उन्होंन अपने सभी पांचो विधायकों को हैदराबाद बुला लिया था।