Jaypur: कहते हैं कि दूध का जला छाछ भी फूक कर पीता है। कांग्रेस अपनी पुरानी गल्तियां दोहराना नहीं चाहती और उसने वक्त से काफी कुछ सीखा हुआ लगता है। राज्यसभा चुनाव के मददेनजर कांग्रेस ने अपने विधायकों को टूंटने से बचने के लिए पिकनिक यानी रिसार्ट पर भेज दिया है। इससे दो फायदे होंगे विधायक कोरोना से भी बचे रहेंगे और पार्टी राज्यसभा चुनाव में बेहतर परफारमेंस कर सकेगी।
आज से ठीक 8 दिन देश में राज्यसभा चुनाव है और इन चुनावों को देखते हुए कांग्रेस ने अपने सभी कील कांटे दुरूस्त कर लिये हैं। ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि कांग्रेस पहले से तैयारियां करे। बाहरहाल राजस्थान में पार्टी ने अपने विधायकों को टूटने से बचने के लिए अपने और निर्दलीय विधायकों को एक रिसॉर्ट में भेज दिया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार सुबह पार्टी के सभी विधायकों के साथ अपने आवास पर एक बैठक की, वहीं शाम को कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने पुलिस महानिदेशक, एसीबी से एक आधिकारिक शिकायत की और उन भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की, जो धनबल के जरिए निर्दलीय विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
जोशी ने डीजी, एसीबी को संबोधित अपने पत्र में कहा है, हमें अपने विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक की तर्ज पर भाजपा कांग्रेस के विधायकों के साथ ही हमारी सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को लालच देकर राजस्थान में सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।
पत्र में कहा गया है, यह कोशिश न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि जन आकांक्षाओं के भी खिलाफ है। यह अवैध, अनैतिक, निंदनीय है और कानूनी कार्रवाई की मांग करता है। जो लोग इस तरह के घृणित अपराध में लिप्त हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
राजस्थान में 19 जून को राज्यसभा की तीन सीटों के लिए मतदान होगा, जहां कांग्रेस ने दो उम्मीदवार खड़े किए हैं -के.सी. वेणुगोपाल और नीरज डांगी। जबकि भाजपा ने भी दो उम्मीदवार -राजेंद्र गहलोत और ओमकार सिंह लखावत को मैदान में उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला स्थिति का जायजा लेने और कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखने बुधवार को जयपुर पहुंचे। सुरजेवाला उस रिसॉर्ट में पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के और निर्दलीय 90 विधायकों के साथ मौजूद हैं।
कांग्रेस के पास अपने 107 विधायक हैं और उसे आरएलडी के एक विधायक, और निर्दलीय 13 विधायकों, बीटीपी और माकपा के विधायकों का समर्थन प्राप्त है। जबकि भाजपा के पास 72 विधायक हैं और उसे आरएलपी के तीन विधायकों का समर्थन प्राप्त है।