NEW DELHI : उम्मीद है कि दिसम्बर के तीसरे सप्ताह से भारत में कोरोना वैक्सीन की शुरूआत हो जाएगी। सबसे पहले इस टीका के डाक्टर्स को दिया जाएगा और फिर उसके बाद किसी दूसरे को। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि सरकार का इरादा प्रत्येक व्यक्ति को वैक्सीन देने का नहीं है। के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के मुताबिक आबादी का एक वर्ग सोचता है कि इसे टीकाकरण की आवश्यकता नहीं है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक (डीजी) प्रो. बलराम भार्गव ने भी कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि पहले जनसंख्या के एक बड़े पैमाने पर टीकाकरण करके वायरस की श्रृंखला को तोड़ा जाए।
उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य वायरस की श्रृंखला को तोड़ना है। अगर हम थोड़ी आबादी (क्रिटिकल मास) को वैक्सीन लगाकर कोरोना ट्रांसमिशन रोकने में कामयाब रहे तो शायद पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत न पड़े।
हालाकि उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीन की प्रभावकारिता एक मुद्दा है, क्योंकि यह कुछ व्यक्तियों पर इसका 60 प्रतिशत प्रभाव हो सकता है जबकि दूसरों में यह 70 प्रतिशत प्रभावकारी भी हो सकती है।
इस बीच भार्गव ने इस बात पर जोर दिया कि हमें मास्क का उपयोग जारी रखना होगा, क्योंकि यह वायरस की श्रृंखला को तोड़ने में प्रभावी है।