NEW DELHI : हम और आप क्या इस बार तो लंकेश को भी कोरोना ने अपनी जद में ले रखा है। जी हां विजयदश्मी के कुछ ही दिन बचे हैं ऐसे में दिल्ली के सबसे बड़े पुतला बाजार में रावण का न आना चिंता का करण बना है। टैगोर गार्डन से सटे तितारपुर बाजार में पुतला कारोबारियों में मायूसी नजर आ रही है। हर साल इस बाजार में इस समय रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले बनने शुरू हो जाया करते थे। लेकिन इस बार सन्नाटा है और अभी तक पुतले बनने का कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ है।
देश में बुराई का प्रातीक रावण के करोड़ो पुतले फूंके जाते हैं। बात अगर दिल्ली की करे तो हजारों की संख्या में हर साल रावण का पुतला फूंका जाता रहा है, लेकिन इस बार कारोबारियों को एक भी ऑर्डर नहीं मिला है। इस कारण सभी कारीगर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। तितारपुर में रावण बनाने वाले 45 वर्षीय पवन 12 वर्ष की उम्र से रावण का पुतला बनाते चले आ रहे हैं। वह 5 फुट से लेकर 60 फूट का रावण हर साल बनाते आए हैं। यही नहीं, उनके द्वारा बनाया गया रावण ऑस्ट्रेलिया तक भेजा गया है। हर साल पवन 50 से अधिक रावण बनाते हैं, जिन्हें देशभर के विभिन्न जगहों पर दहन करने के लिए लोग ले जाया करते हैं।
55 वर्षीय कमलेश भी रावण का पुतला बचपन से बनाते चले आये हैं। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश, मुरादाबाद, बरेली, हरियाणा, एमपी, राजस्थान से हर साल लेबर और कारीगर यहां आकर रावण बनाया करते थे। लेकिन इस बार सभी अपने-अपने राज्य में ही मौजूद हैं।