New Delhi : चाइना कंट्रोवर्सी में सैमसंग ब्रांड की बल्ले—बल्ले होती दिखाई दे रही है। चाइनीज कंपनियों ने भारत में होने वाले निवेश को होल्ड कर दिया है वहीं इन कंपनियों क मार्केटिंग गतिविधियां भी शून्य है। नया माल आ नहीं रहा पुराना बिक नहीं रहा। लेकिन भारतीयों को जरूरतें वैसे ही है जैसी पहले से। ऐसे में वह ब्रांड जिनको लोग कम पंसद करने लगे थे एक बार फिर उन्ही ब्रांड की तरफ रूख करते दिखाई दे रहे हैं।
गोमती नगर स्थित बकलक मोबाइल के ओनर जीतू शुक्ला कहतें हैं कि भारतीयों ने चाइनीज मोबाइल से दूरी बना ली है भले ही वह सस्ते हैं और तकनीकी दृष्टि से बेहतर। लोग सैंमसंग और दूसरे ब्रांड की तरफ रूख कर रहे हैं। लोग खुद मना कर देते हैं कि उन्हें चाइनीज मोबाइल न दिखाये जाएं।
एक दौर ऐसा था जब पूरे भारतीय बाजार पर नोकिया का कब्जा था। मोबाइल का मतलब नोकिया था और हैवी स्टोरेज डिवाइसेज के तौर पर नोकिया भारतियों के दिलों पर राज करता था लेकिन फिर सैमसंग आया। यह दौर टैलीकॉम इंडस्ट्री में क्रांती का था। नये टेलीकॉम आपरेटर, नये डिवाइसेज, नई तकनीक 2 जी से 3 जी और 3 जी से 4 जी का सफर देख रहे भारत ने सैमसंग के बाद हायर, ओप्पो और एमआई जैसी चाइनीज कंपनियो को दिल दे दिया और यह कंपनियां सैमसंग को टैकओवर करती दिखाई दी। एमआई आईफोन तकनीक को कॉपी कर सस्ती दरों पर परोस रहे थे।