MUMBAI : महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने सीएम उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखी है। गवर्नर की चिटठी पर राजनीतिक बवंडर खड़ा हो गया है। गवर्नर ने चिटठी में मंदिरों को खोलने के लिए उद्धव ठाकरे से सवाल पूछा है। और उन्हें सेक्यलूरिज्म को लेकर टिप्पड़ी भी की है।
गवर्नर की इस चिटठी से मराठा छत्रप शरद पवार को गुस्सा आ गया है और उन्होंने इस चिटठी की शिकायत पीएम मोदी से की है। गवर्नर ने इसमें चिटठी में कहा है कि यह विडंबना है कि सरकार ने एक तरफ बार और रेस्तरां को खोल दिया है, लेकिन दूसरी तरफ मंदिर जैसे धार्मिक स्थानों को नहीं खोला गया है। आप हिंदुत्व के मजबूत पक्षधर रहे हैं। आपने भगवान राम के लिए सार्वजनिक रूप से अपनी भक्तिव्यक्त की है।
इसमें कहा गया है कि मुझे आश्चर्य है कि आपको मंदिरों को नहीं खोलने के लिए कोई दिव्य प्रेम प्राप्त हो रहा है या फिर आप धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं। यह एक ऐसा शब्द है, जिससे आप नफरत करते हैं।
शरद पवार ने मोदी को लिखे पत्र में कहा, मैं इस बात से सहमत हूं कि राज्यपाल इस मुद्दे पर अपने स्वतंत्र विचार और राय रख सकते हैं। मैं राज्यपाल के अपना मत मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की भी सराहना करता हूं, लेकिन राज्यपाल के पत्र और उस तरह की भाषा को देखकर मैं हैरान हूं।
राज्यपाल के पत्र में सेक्युलर शब्द का जिस तरह इस्तेमाल किया गया है उसे लेकर शरद पवार ने कहा कि आपने देखा होगा कि किस तरह से असंयमित भाषा का प्रयोग किया गया है। दुर्भाग्य से राज्यपाल का पत्र किसी राजनीतिक पार्टी के नेता का पत्र लग रहा है। उन्होंने कहा, मैं इस बात में विश्वास करता हूं कि लोकतंत्र में राज्यपाल और मुख्यमंत्री में स्वतंत्र विचारों का आदान-प्रदान जरूरी है, लेकिन इसकी भाषा संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के पद की गरिमा के अनुरूप होनी चाहिए।
पवार ने लिखा कि उन्होंने इस बारे में राज्यपाल और मुख्यमंत्री से बात नहीं की है, लेकिन वे चाहते हैं कि माननीय राज्यपाल की ओर से संवैधानिक पदों के क्षरण किए जाने को लेकर अपना दुख आपसे और जनता से साझा करूं।
वहीं शिवसेना के सांसद संजय राउत ने भी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की चिट्ठी पर पलटवार किया है। राउत ने कहा कि मंदिरों की बार के साथ तुलना करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि महाराष्ट्र में कोरोना का खतरा पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। जब प्रधानमंत्री भी यहां की स्थिति से बहुत चिंतित हैं, तो राज्यपाल को भी इसके बारे में सोचना चाहिए।