MUMBAI : बाजीगर शाहरूख खान (Sharukh Khan)ने अपने बेटे आर्यन की ड्रग्स की कहानी क्या खुद प्लांट की है! क्या आर्यन की जेब में ड्रग्स की पुड़िया खुद शाहरूख ने रखकर उन्हें क्रूज पर भेजा। जी हां यह सोचने वाली बात है। क्योंकि आर्यन जवान है और जल्द ही बालीवुड में पर्दापण करने वाले हैं। ऐसे में शाहरूख चाहते थे कि आर्यन को शाहरूख(Sharukh Khan) के बेटे के तौर पर न देखा जाए। आर्यन की खुद की अपनी इमेज हो, अच्छी या फिर बुरी। बस इसी बात को ध्यान में रखकर इस पूरे प्रकरण को रचा गया प्रातीत होता है।
ओटीटी, सोशल मीडिया, नेट फलेक्स और आनलाइन कंटेंट के इस दौर का दर्शक वर्ग नायक को खलनायक देखना चाहता है। हालिया रीलीज कंटेट भी इसी ओर इशारा कर रहा है। तो फिर अपकमिंग स्टार चाकलेटी छवि में खुद को क्यों बांध कर रखे। जो जितना बदनाम होगा वह उतना ज्यादा हिट होगा। बिगबॉस ने पूरे वातावरण को बदल कर रख दिया है। कंट्रोवर्सी, सेक्स, लड़ाई और ड्रग्स यह वह बैसाखी है जिस पर स्टार की शोहरत टिकी है।
संजय दत्त और सोनू सूद इन दोनों नामों को उदहारण के लिए लें तो क्लियर हो जाएगा कि संजय असल जिंदगी में खलनायक है लेकिन फिल्मों में सफल नायक और सोनू सूद वास्तवितक जीवन में नायक लेकिन स्क्रीन पर वह खलनायक है। शाहरूख (Sharukh Khan) जो सिर्फ सफलता को अपना मानक मानते हैं चाहते हैं कि उनका बेटा उनकी तरह 70 एमएम डाल्बी स्क्रीन पर आये तो नायक बनकर भले ही वह वास्तविक जीवन में खलनायक हो।
शाहरूख—गौरी (Sharukh Khan) दोनो ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह खुद चाहते हैं कि आर्यन ड्रग्स ले, सेक्स करे और वह तमाम कामों में संलिप्त हों जिनमें किंग खान के बेटे को होना चाहिए। शाहरूख खुद नहीं चाहते थे कि आर्यन की छवि चाकलेटी हो। क्योंकि वह जानते हैं कि बदनाम न होंगे तो फिर क्या नाम न होगा।
शाहरूख (Sharukh Khan) आने वाले समय की नब्ज को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। शाहरूख सिर्फ बालीवुड एक्टर नहीं बल्कि एक सफल बिजनेसमैन है। और जो हार कर जीते उसे दुनिया बाजीगर कहती है। यह डायलाग भी उन्ही की हिट पिक्चर का है और शाहरूख ने इस डायलाग को जिया है।
शाहरूख (Sharukh Khan) को यदि किसी फिल्म कि स्क्रिप्ट पसंद आ जाये तो वह उस फिल्म को फ्री में भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं हां बदले में वह कॉपीराइट एक्ट आदि की डिमांड करते हैं। बात शाहरूख के बेटे आर्यन की करे तो वह दिखने में बिल्कुल शाहरूख है, 21 वर्ष के हो चुके हैं और अभी तक उनके पास काम नहीं आया है। शाहरूख का फिल्मी ग्राफ भी ढलान पर है। ऐसे में आर्यन का नेम—फेम की सख्त जरूरत थी जिसे एक ग्राम ड्रग्स ने पूरा कर दिया। जितनी मीडिया कवरेज आर्यन को इस केस में मिली उतनी मीडिया कवरेज उन्हें करोड़ों रूपये खर्च करके इवेंट के जरिये नहीं मिल सकती थी।
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