LUCKNOW : मुस्लिम धर्मगुरू मौलाना कल्बे जव्वाद ने बड़े इमामबाड़ा में एक बड़ी मजलिस को संबोधित किया। उन्होंने मजिलस का आयोजन उस वक्त किया जब प्रशासन वहा मजलिस की परमीशन नहीं दे रहा था। जबकि अनलाक नियमों के तहत इमामबाड़ा को पर्यटकों को खोलने के लिए निर्देश दिये गये थे। ऐसे समय में मौलाना कल्बे जव्वाद ने प्रशासन के इस निर्णय का विरोध कर वहां मजिलस का आयोजन किया।
मौलाना कल्बे जव्वाद पूर्व की सरकारों से सर्घष कर चुके हैं और उनका व्यक्तितव एक संघर्षशील नेतृत्तव के तौर पर उभर कर सामने आया है। अजादारी को लेकर वह मायावती सरकार में जेल गये जबकि पूर्व की अखिलेश सरकार में लाठियों को बर्दाश्त किया।
योगी सरकार के उदय के बाद से ही यह सवाल उठ रहे थे कि मौलाना कल्बे जव्वाद की क्या प्रतिक्रिया होगी। मौलाना कल्बे जव्वाद ने समय—समय पर कठिन निर्णय लिये और सीधे टकराव से बचे। लेकिन इस बार जब बात सीधे आजादारी पर आयी तो वह घर में बैठे नहीं रहे और सीधे मजिलस का एलान कर दिया। उनकी मजलिस में पांच हजार से ज्यादा लोग पहुंचे।
इस बात के भी कयास लगाए जा रहे थे कि मौलाना कल्बे जव्वाद की मजलिस पर प्रशासन किस तरह की प्रतिक्रिया देता है। क्या मौलाना पर महामाारी एक्ट में लोगों को जमा करने का मुकदमा कायम किया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ ओर प्रशासन ने बीच का रास्ता अपनाते हुए कल्बे जव्वाद से टेबुल टाक जारी रखा।
कल्बे जव्वाद ने दिन में मजलिस के एलान को वापस ले लिया है और रात की मजिलस करने पर डटे हुए हैं। जबकि प्रशासन ने हुसैनाबाद ट्रस्ट के सभी इमामबारगाहों में कोविड 19 नियमों के तहत मजलिस बरपा करने की छूट दे दी है।