Thursday, December 26, 2024
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चंदा यही है मेरा धंधा

AZAMGARH : यह खबर गिनजी बुक आफ वलर्ड रिकार्ड में आठवे अजूबे के तौर पर शामिल की जा सकती है। भीख मांग कर पेट भरना किसी का पुश्तैनी काम हो सकता है लेकिन चंदा बटोर कर लग्जरी लाइफ जीना किसी का पुश्तैनी काम कैसे हो सकता है यह बड़ा सवाल है।

अब चलिए पहेली नहीं बुझाते हैं पूरी खबर आप को बताते हैं। खबर आजमगढ़ से हैं जहां एक परिवर की यह तीसरी पुश्त है जो महापुरूषों के नाम पर फर्जी रसीब छपवाकर लोगों से चंदा वसूली कर अपना पेट भर रहे हैं।

परिवार के मुखिया मौनी बाबा के नाम से चंदा वसूली का काम करते हैं तो तो बेटा श्रीराम चन्द्र जी के नाम से लोगों से चंदा मांगता है। भाई बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी के नाम से बाकायदा रसीद छपवा कर गांव-गांव में घूमकर रसीद काटकर चंदा इकट्ठा करते हैं।

इन लोगों की आय का यही एकमात्र साधन है। इसी के जरिये से यह लोग जीवन यापन करते हैं। पूरा मामल पकड़ में इस प्रकार आया कि निजामाबाद थाना क्षेत्र के ग्राम सभा फतनपुर में शुक्रवार को दोपहर में दो लोग मोपेड से गांव में आकर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी के नाम की पर्ची लेकर रसीद काट रहे थे।

कुछ लोगों ने चंदा मांग रहे लोगों का नाम, गांव और पता पूछना चाहा,तो यह दोनों आदमी गोल मटोल जवाब देने लगे संतोषजनक जवाब न मिलता देख ग्रामीणों ने इसकी सूचना फरिहा पुलिस चौकी को दी।

पुलिस मौके पर पहुंची तो नाम पता पूछने पर उन्होंने अपना नाम प्रिंस पांडे पुत्र राम अशीष पांडे और दूसरे ने प्रदीप पांडे पुत्र राम आलम पांडे ग्राम कुसमहरा थाना कप्तानगंज के निवासी बताएं।फोन के माध्यम से कुसमहरा गांव में पता किये तो पता चला कि नाम और गांव सही बता रहे हैं,और पूरे गांव के लोगों का यही पेशा है।

इन दोनों ने बताया कि हमारी तीन पीढ़ियों से यह कारोबार चला आरहा है,हम लोग इसी तरह से अपनी जीविका चलाते हैं

News Desk
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