HATRAS : 500 लोगों के बुलगाड़ी गांव का हाल बुरा है। घटना के बाद लोग दो हिस्सों में बंट चुके हैं। एक हिस्सा है उंची जाति के लोगों का जिनकी गांव में संख्या ज्यादा है। और दूसरा हिस्सा है पीड़ित परिवार की जाति का। बात अगर गांव की करें तो यहां अलग—अलग समाज के लोग रहते हैं लेकिन ज्यादा संख्या ब्राहमण और ठाकुर समाज के लोगों की है। वहीं हरिजन समाज के लोगों की संख्या 25 का आंकड़ा भी नहीं पार करती है।
बरसों से एक दूसरे के दुख—दर्द का हिस्सा रहे गांव के लोग में घटना के बाद से बातीचत बंद है। यही नहीं आपस में व्यवाहर में भी फर्क पड़ा है।
दरअसल गांव के हरिजन समाज के लोग इस घटना के बाद से ज्यादा प्रभावित हुए हैं। क्योंकि यही लोग ब्रहामण और ठाकुर समाज के लोगों के खेतों में काम करने जाते थे और वही से इनकी रोजी रोटी चलती थी। लेकिन अब यह लोग काम करने को लेकर हिचकिचा रहे हैं। अब घर से बाहर निकलते वक्त जिन दूसरे वर्ग के लोगों से बातचीत होती थी, वो बंद हो गई है।
गांव में सुबह से रात तक सिर्फ मामले में इंसाफ की बात होती है। दूसरी तरफ यही हाल ऊंची जाति के लोगों का भी है। उच्च वर्ग के बहुत सारे लोगों ने वैसे तो इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन दूसरे वर्ग के लोगों से बात करने से भी बच रहे हैं।