LUCKNOW : कोई इसे कच्ची धानी का तेल कहता है तो कोई इसे पीली सरसों का। लेकिन बोल—चाल की भाषा में यूपी में इसे कड़वा तेल कहा जता है। अब समझ में आया कि यूपी के समझदार बुर्जगों ने बहुत पहले ही सरसों के तेल का नाम कड़वा क्यों रख दिया था। पिछले कई महीनो से इस तेल के दाम में आग लगी है बौर कीमतें बेतहाशा बड़ी है।
कैसे बड़ी कीमतें
सरसों के तेल के दाम में वृद्धि के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। लखनऊ के गणेशगंज स्थित तेल के बड़े कारोबारी मुकेश अग्रवाल कहते हैं कि सरसों का एमएसपी रेट बढ़ाया जाना और सोयाबीन और पाम आयल के आयात पर रोक के चलते सरसों का तेल ज्यादा कड़वा हो गया। उनके मुताबिक एक लीटर सरसों के तेल का भाव इस वक्त 160 से 170 रूपये प्रति लीटर है।
कम होंगी कीमतें
तेल व्यापारियों को लगता है कि जल्द ही कड़वे के तेल के भाव कम होना शुरू हो जाएंगे। क्योंकि न तो डिमांड बड़ी है और न ही प्रोडक्शन कम हुआ है। उलटे इस बार सरसों की खेती में ज्यादा फसदा सरसों पैदा हुई है। यही कारण है कि तेल के रेट घटेंगे लेकिन तेल पहली वाली कीमतों पर वापस पहुंचेगा ऐसा कहना मुश्किल है।
जरूरी थी रोक
अर्थशास्त्रीयों के मुताबिक पाम आयल के आयात पर रोक का आदेश ठीक है। पहले सरसों 50 रूपयें किलो बिकती थी लेकिन अब सरसों 70 रूपये किलो बिक रही है। किसान का फायदा हो रहा है। यह हाल तब है जब सरसों की पैदावार बम्बर हुई हो। वहीं पाम और सोयाबीन आयल खरीदने के लिए सरकार को बड़ी मात्रा में पैसा विदेश भेजना पड़ता था। रोक के चलते उसमें भी बचत हुई है।