विधानसभा चुनाव के एक माह के भीतर बसपा (BSP) में भगदड़ का महौल है। हाल ही में यूपी विधानसभा के समपन्न हुए चुनाव के बाद समीक्षा बैठक के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती जी का एक निर्देश पार्टी नेताओं पर भारी पड़ रहा है। दरअस्ल बहन जी ने चुनाव लड़ चुके प्रत्याशियों से पार्टी फंड में 20 लाख रूपये जमा करने का निर्देश दिया था। यह निर्देश चुनाव के दौरान मंडलवार रैलियों पर आये खर्च हुए पैसों को जमा करने के लिए दिया गया था।
समीक्षा बैठक के बहाने फंड का जुगाड़ कर पार्टी की सेहत सुधारने की कवायद में लगी बसपा (BSP) सुप्रीमो को एक और झटका लगा है। वरिष्ट नेता नकुल दुबे को पार्टी से बाहर किया गया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक आभी कई बड़े नेताओं का बाहर का रास्ता दिखाना बाकी है। बसपा (BSP) छोड़ने वाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त है। ऐसे में नेताओं का बसपा (BSP) से ताजा पलायान को गंभीर चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है। कभी कांशीराम और अंबेडकर के मिशन का बीड़ा उठाने वाले नेता बसपा के घटते जनाधार से चिंतित है।
हाल ही बसपा (BSP) छोड़ चुके लाल जी वर्मा कहते हैं कि हार के फौरन बाद बहन जी ने समीक्षा बैठक के दौरान 20 लाख रूपये जमा करने की बात कही थी। पार्टी में पैसा जमा करने का कल्चर है। लेकिन अब स्थिति पहले जैसी नहीं। बसपा (BSP) पूरे चुनाव में सिर्फ एक सीट जीती है और उसका वोट प्रतिशत घटा है। वहीं चुनाव हार चुके नेताओं के पास जमा करने के लिए पैसा नहीं है।
बसपा (BSP) के टिकट के पर पूर्वाचंल से विधानसभा 2022 का चुनाव लड़ चुके नेता जी कहते हैं कि समीक्षा बैठक में वह मौजूद थे। उनसे भी मंडलवार रैली खर्च के एवज में 20 लाख जमा करने के लिए कहा गया था। वह कहते हैं कि खेत बेचकर तो चुनाव लड़ा अब 20 लाख कहां से जमा करें।
बसपा (BSP) 403 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ी। जिसमें उसने एक सीट पर जीत हासिल की। चुनाव के दौरान बसपा (BSP) सुप्रीमो ने मंडलवार रैलियों का आयोजन किया। आगरा से रैली की शुरूआत हुई थी। इसबार के चुनाव में बसपा ने सोशल मीडिया और टीवी चैनल्स पर भी प्रचार के लिए पैसे खर्च किये थे। बहन जी लगातार इस बात को कहती है कि बसपा धन्नासेठों की पार्टी नहीं।
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