SARKAR TODAY — चुनाव नतीजों के आने के बाद यूपी की राजनीति (UP politics) में राजनीतिक रूझान भी आने शुरू हो गये है। भारतीय जनता पार्टी के भीतर उन लोगों पर कार्रवाई की मांग तेज हो गयी है जिन्होंने पार्टी गाइडलाइन से अलग हटकर काम किया। पार्टी चाहती है कि सफाई ऊपर से नीचे की ओर हो। सोशल मीडिया और बीजेपी से जुड़े व्हाटसएप ग्रुप में चर्चाए आम है कि सबसे पहले संघमित्र मौर्या, वरूण गांधी, मेनका गांधी और रीता बहुगुणा जोशी पर कार्रवाई की जानी चाहिए। इन नेताओं ने पूरे चुनाव भर बीजेपी चुनाव प्रचार अभियान को ठेंगे पर रखा और जो चाहा वह किया और जो चाहा वह बोल कर पार्टी को नुकसान पहुचाने की कोशिश की।
बात सबसे पहले स्वामी प्रसाद मौर्या और उनकी बेटी संघमित्र मौर्य की। स्वामी को कौन नहीं जानता, योगी सरकार पार्ट — 1 में कैबिनेट मिनिस्टर रहे और अपनी बेटी को बदायूं लोकसभा से सांसद बनवाया। चुनाव प्रचार के पीक सीजन में इन्होंने बीजेपी को छोड़ा और सपा को ज्वाइन कर लिया। (UP politics)
रीताबहुगुणा जोशी प्रयागराज से सांसद है। रीता अपने बेटे मंयक जोशी के लिए लगातार बीजेपी हाइकमान से टिकट मांग रही है। बेटे की राजनीति (UP politics) चमकाने के लिए इन्होंने खुद को राजनीति से सन्यास लेने का भी एलान कर दिया है। लेकिन फिर भी जब इनके बेटे मयंक जोशी को बीजेपी से टिकट नहीं मिला। मंयक लखनऊ कैंट विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहते हैं। जब बीजेपी में सफल नहीं हुए तो इन्होंने अखिलेश यादव से मिलकर सपा को ज्वाइन कर लिया। (UP politics)
मेनका गांधी और वरूण गांधी यह दोनो ही सियासी दिग्गज है। दोनो मां बेटे बीजेपी की राजनीति (UP politics) लंबे समय से कर रहे हैं। लेकिन वरूण गांधी के दुस्साहसिक बयानों के चलते मेनका गांधी को भी लगतार राजनीतिक नुकसान हो रहा था। चुनाव से पहले इन दोनों नेताओं को संगठन में तवज्जो नहीं मिली। इसके बाद वरूण गांधी ने कृषि कानूनों और खीरी कांड पर तल्ख बयान जारी किये जिससे बीजेपी को नुकसान हुआ। अब कार्यकर्ता चाहते हैं कि इन नेताओं को उनके किये की सजा मिले।
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