AGENCY : नेपाल ने भारत को आंख दिखाना यू हीं नही शुरू किया है। बल्कि इसके पीछे का पूरा गणित सामने आ चुका है। खुफिया जानकारी के मुताबिक नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली का नक्शे के मुद्दे पर अप्रत्याशित रुख के पीछे काठमांडू स्थित चीनी दूतावास की भूमिका एक प्रेरक कारक है। नेपाल के नक्शे को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए चीनी राजदूत ने प्रधानमंत्री ओली को प्रेरित करने का काम किया है अब यह साफ हो चुका है।
इस वक्त जो चीनी राजदूत नेपाल में काम रही हैं वह इससे पहले तीन वर्ष तक पाकिस्तान में काम कर चुकी है। और उनका नेपाली प्रधानमंत्री के निवास में लगातार आना-जाना लगा रहता है। इसके अलावा नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी का वह प्रतिनिधिमंडल, जो राजनीतिक मानचित्र को बदलने के लिए द्वितीय संविधान संशोधन विधेयक का मसौदा तैयार करने में सहायक था, वह चीनी राजदूत के संपर्क में था।
बीजिंग के विदेश नीति के रणनीतिकारों के इशारे पर काम कर रही युवा चीनी राजदूत को नेपाल में सबसे शक्तिशाली विदेशी राजनयिकों में से एक माना जाता है। एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान में सेवा करने के अलावा, वह चीन के विदेश मंत्रालय में एशियाई मामलों के विभाग में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रही थीं।
यही नहीं, चीनी दूतावास कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल की युवा शाखा के कुछ शीर्ष नेताओं के साथ भी संपर्क में रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पास भारत-नेपाल सीमा पर वामपंथी पार्टी के युवा नेताओं ने धरना दिया था। बाद में लोगों के व्यापक समर्थन के लिए काठमांडू और अन्य शहरों में एक साथ विरोध प्रदर्शन किए गए।